भागलपुर: श्रावण मास की दुसरे सोमवार से पहले सुल्तानगंज स्थित बाबा अजगैबीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही दूर दराज से आए शिवभक्त बाबा की नगरी देवघर जानें के लिए प्रस्थान कर चुके हैं पुरे महीने भगवान शिव की अराधना के लिए निष्ठा पूर्वक श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहेगा। इनमें सभी श्रद्धालुओं की अपनी अपनी मान्यता होती है साथ ताड़क बम कांवड़‍ियों को आप सड़कों पर विशेष परिधान में देखते हैं। जल भरकर शिव मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करने की परंपरा सदियों पुरानी है। कांवड़ यात्रा की शुरुआत के पूर्व फूल-माला के साथ ही घंटी और घुंघरू से सजे दोनों डंडे के दोनों किनारों पर वैदिक अनुष्ठान के साथ गंगाजल या प्रमुख नदियों का जल किसी लटकने वाले पात्र में भरा जाता है। धूप-दीप नैवेद्य की खुशबू के साथ ‘बोल बम’ का नारा लगाते कांवड़ लेकर जाने और जलाभिषेक की कामना आस्‍थावानों में होती है। जबकि  दांडी कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त नदी तट से शिवधाम तक की यात्रा खुद को दंड देते हुए पूरी करते हैं। अर्थ यह कि कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई के अनुपात में लेट कर नापते हुए शिवालय तक की यात्रा पूरी करते हैं। यह बेहद कठिन कांवड़ यात्रा होती है और इसमें लंबा समय लगता है। अमूमन मन्‍नतों को पूरा होने के बाद लोग इसे पूर्व करते हैं। वहीं दूसरी सोमवार से पूर्व अजगैबी नाथ से दंड देते हुए कावड़ बाबा धाम के लिए प्रस्थान कर चुके हैं उन्होंने बताया कि वह विगत 50 वर्षों से बाबा की नगरी इसी प्रकार जाते रहे हैं सभी कावड़ों में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण दांडी कावड़ को ही माना जाता है इसमें महिनोय लग जाते हैं लेकिन निष्ठा और सच्ची श्रद्धा से रास्ते में आए तमाम रुकावट दूर हो जाते हैं भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा है कि वह इतने दिनों से इसी प्रकार भोलेनाथ के दरबार जाते रहे हैं।